आखिर डॉ कल्ला ने क्यों किया सरकारी बंगला खाली,सामने आई ये वजह – बीकानेर तहलका
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आखिर डॉ कल्ला ने क्यों किया सरकारी बंगला खाली,सामने आई ये वजह

जयपुर। इन दिनों नेताओं के बंगले चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। चाहे वो सदस्यता समाप्त होने के बाद राहुल गांधी का सरकारी बंगले को खाली करना हो या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले पर 45 करोड़ का खर्च। दिल्ली ही नहीं राजस्थान में भी नेता और उनके बंगले चर्चा में रहते हैं। फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा में है जयपुर के सिविल लाइंस स्थित 382-्र नंबर का बंगला। चर्चा में होने की वजह- इस सरकारी बंगले में शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला सपरिवार रहते थे और उन्होंने हाल ही में इसे खाली कर दिया है।

राजस्थान का पहला मामला प्रदेश में यह अपनी तरह का पहला मामला है, जब किसी नेता ने मंत्री रहते हुए बिना किसी सरकारी या अदालती नोटिस के अपना बंगला खाली कर दिया है। कल्ला अब मालवीय नगर स्थित अपने निजी आवास पर चले गए हैं। जब इस बंगले को खाली करने की पड़ताल की तो इस बंगले के साथ सात और बंगलों की भी कहानियां सामने आईं, जो चौंकाने वाली हैं।

वास्तुदोष या हेल्थ इश्यू, क्या है बंगला छोडऩे की वजह डॉ. कल्ला प्रदेश के वरिष्ठ विधायकों में से एक हैं। अब तक छह बार विधायक रहे हैं। 22 अलग-अलग विभागों के मंत्री रहे हैं‌। कैबिनेट मंत्री दर्जे के राज्य वित्त आयोग के चेयरमैन भी रहे हैं। वे वर्ष 2008 और 2013 का चुनाव हार गए थे। जब वे 2018 का चुनाव जीते, तब वे मालवीय नगर स्थित निजी आवास पर ही रहते थे। सूत्र बताते हैं कि हाल ही में ज्योतिष और वास्तु के एक जानकार ने उन्हें सलाह दी थी कि अगर वे इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत चाहते हैं तो उन्हें फिर से उसी निजी आवास में जाना होगा।

स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला डॉ. कल्ला का इस निर्णय के बारे में कहना है कि वे स्वास्थ्य कारणों (कमर में गंभीर तकलीफ) से निजी निवास पर शिफ्ट हुए हैं। उनका ये तर्क विरोधियों के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है कि केवल स्वास्थ्य कारण होते तो वे किसी दूसरे सरकारी बंगले में भी जा सकते थे। सचिवालय-विधानसभा, राजभवन, सीएमआर से दूर मालवीय नगर क्यों जाते? बहरहाल, डॉ. कल्ला अब रहेंगे तो अपने निजी निवास में। सरकार से उन्हें डेढ़ लाख रुपए मासिक मकान भत्ता भी मिलेगा। सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग के स्तर पर इसकी फाइल तैयार हो गई है।

सीढ़ी चढऩे में होती है परेशानी शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के निजी सहायक विजय शरण गुप्ता ने बताया- डॉ. कल्ला को साइटिका की गम्भीर समस्या है। सरकारी बंगले में उन्हें सीढियां चढऩे में परेशानी होती है। ऐसे में वे मालवीय नगर स्थित अपने निजी निवास पर शिफ्ट हो गए हैं।

जलदाय मंत्री जोशी को भी रास नहीं आ रहा सरकारी बंगला शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के पड़ोसी हैं प्रदेश के जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी। उन्हें यह बंगला नवंबर-2021 में आवंटित हुआ था, जब वे जलदाय मंत्री बने थे। उनसे पहले इस बंगले में सामाजिक न्याय मंत्री भंवरलाल मेघवाल रहा करते थे, जिनका मंत्री रहते हुए निधन हो गया था। इससे पहले भी मेघवाल जब अपने पिछले कार्यकाल में (2008-2013) शिक्षा मंत्री थे, तब उनका मंत्री पद बीच कार्यकाल में (अक्टूबर-2011) छिन गया था।

हवन-पूजा कराया डॉ. महेश जोशी को जब ये बंगला अलॉट हुआ तो प्रवेश से पहले उन्होंने पूजा और हवन भी कराया था। तीन महीने बाद ही उनके बेटे रोहित जोशी के खिलाफ रेप के एक मामले में एफआईआर दर्ज हो गई। इसके बाद सितंबर-2022 में कांग्रेस के तत्कालीन पर्यवेक्षक अजय माकन को बैरंग लौटाने के मामले में उन्हें कांग्रेस हाईकमान से नोटिस मिला। नोटिस का उन्होंने जवाब तो दे दिया, लेकिन कार्रवाई की तलवार अब भी लटक रही है।

आत्महत्या के मामले में एफआईआर अभी हाल ही जयपुर के हेरिटेज परकोटा क्षेत्र स्थित एक मकान के निर्माण मामले में एक व्यक्ति द्वारा आत्महत्या के मामले में भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। ऐसे में राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि मंत्री जोशी भी जल्द ही अपना बंगला या तो खाली कर सकते हैं या किसी दूसरे सरकारी बंगले में शिफ्ट हो सकते हैं।

डोटासरा, रघु शर्मा और हरीश चौधरी रहते हैं मंत्रियों के बंगलों में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी और गुजरात कांग्रेस के प्रभारी डॉ. रघु शर्मा नवंबर-2021 के बाद से अब तक मंत्री नहीं हैं। वे चारों दिसंबर-2018 से नवंबर 2021 तक मंत्री थे। तब उन्हें मंत्रियों के लिए ईयरमार्क्ड (चिन्हित) बंगले आवंटित किए गए थे। नवंबर-2021 के बाद से तीनों केवल विधायक हैं, लेकिन अब तक मंत्रियों वाले बंगलों में ही रह रहे हैं। सभी को वाहन, ड्राइवर, सुरक्षाकर्मी, पीए, स्टाफ आदि की सुविधाएं भी मंत्रियों वाली ही मिली हुई है। रघु शर्मा तो गुजरात के प्रभारी के तौर पर इस्तीफा भी दे चुके हैं।

हैं विधायक, रहते हैं मंत्रियों के बंगले में गोविंद सिंह डोटासरा, रघु शर्मा और हरीश चौधरी को मंत्रियों वाली सुविधा देने के लिए नियमों में गली निकालकर इनके बंगलों को विधानसभा पूल में डाल दिया है। अब इन्हें विधायक रहते हुए भी मंत्रियों वाले बंगले का सुख हासिल है।पेपरलीक का मामला, तीन नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई या फिर वसुंधरा राजे सरकार के दौरान कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा कई मौकों पर अपनी ही सरकार को घेर चुके पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी मंत्रियों वाले बंगले में ही रहते हैं। पायलट वर्तमान में न तो मंत्री हैं और न डिप्टी सीएम। वे दिसंबर-2018 से जुलाई-2020 तक डिप्टी सीएम थे, तब उन्हें सिविल लाइंस में राजभवन के पड़ोस में बंगला आवंटित हुआ था। वे अब भी इसी बंगले में रहते हैं।

पायलट से भी किया गया था सवाल जब उन्होंने सरकार के खिलाफ 11 अप्रैल को अनशन किया था, तब प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनसे पूछा गया था कि वे नैतिकता के नाते इस बंगले को खाली क्यों नहीं करते तो उन्होंने कहा था कि सरकार अपने विवेक से बंगले आवंटित करती है। सरकार जो भी आदेश देगी, उसका पालन किया जाएगा।

वसुंधरा राजे और बंगला नंबर-13 का भाग्य वसुंधरा राजे जब 2003 से 2008 के बीच पहली बार मुख्यमंत्री बनीं तो वे मुख्यमंत्री निवास (बंगला नंबर-08) में रहती थीं। 2008 में चुनाव हारने के बाद वे बंगला नंबर-13 में रहने लगीं। उसके बाद वर्ष 2013 में राजस्थान में अब तक की सबसे बड़ी जीत (200 में से 163 विधायक) मिलने के बाद राजे ने बंगला नंबर-13 को अपने लिए इतना भाग्यशाली माना कि उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री बंगला नंबर-08 नहीं लिया। जबकि राज्य के मुख्यमंत्री के लिए यही बंगला चिन्हित है।राजे मुख्यमंत्री रहते हुए 13 नम्बर बंगले में रहीं। इस दौरान उन्होंने इसी बंगले को पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में स्वयं को आवंटित कर लिया, जिसका उन्हीं के पार्टी भाजपा के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी (वर्तमान में राज्य सभा सांसद) ने जमकर विरोध किया था। तब तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी राजे के बंगले को लेकर कई बार राजनीतिक हमले बोले। हालांकि इसी बंगले में रहते हुए वसुंधरा राजे 2018 में चुनाव हार गई और सत्ता चली गई।दिसंबर-2018 में मुख्यमंत्री बनने के बाद गहलोत ने राजे से यह बंगला खाली नहीं करवाया। गहलोत सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री भी हैं। गहलोत ने जुलाई-2020 में सचिन पायलट की बगावत के दौरान बंगला नंबर-13 विधानसभा पूल में डाल दिया, जहां से यह बंगला वसुंधरा राजे को ही आवंटित हुआ और वे अब तक उसी बंगले में रह रही हैं। उन्हें वहां रहते करीब 15 वर्ष हो गए हैं। यह बंगला मुख्यमंत्री आवास सहित पांच सबसे बड़े सरकारी बंगलों में से एक है।

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